Bhai Duj
भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में [यमुना]] ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार सन्तोषपूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई।[1] जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है।[2]
लेकिन देखने में आता है कि इतना कुछ करने के बाद भी भाई बहन की रक्षा नहीं कर सकता और न बहन भाई की रक्षा कर सकती है। वह पूर्ण परमात्मा ही हम सब की रक्षा करता है जिसका नाम कबीर है। आज उन्हीं के नुमाइंदे संत तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं जो जीवों का उद्धार करने के लिए धरती पर आए हुए हैं उनके नाम लेकर सत भक्ति मर्यादित करने से हम सभी की रक्षा संभव है इसलिए उनसे नाम ले और अपना कल्याण कराएं।
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