जब द्रोपती का चीर हरण हो रहा था उस समय श्री कृष्ण जी रुक्मणी के साथ अपने महल में चौसर का खेल खेल रहे थे यह सारा खेल कबीर भगवान ने किया और अपने भगत तथा भक्ति की लाज रखी और द्रोपती की साड़ी बढ़ा दी थी।
आज यह रहस्य बनी हुई है कि पूर्ण परमात्मा कौन है? अपने अपने तरीके से अपने-अपने धर्म अनुसार सभी धार्मिक पूजा एवं क्रियाएं अवश्य कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उनके मन में एक बात जरूर खटकती है कि सब का भगवान, अल्लाह, खुदा कोई और है और वही सबका पालक व रक्षक है। पूर्ण परमात्मा अपने भगत की आयु भी बढ़ा सकता है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं। यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 32 में प्रमाण है कि वह पूर्ण परमात्मा कबीर देव है जो सर्वोच्च तथा सर्वशक्तिमान है।
600 वर्ष पूर्व काशी शहर में पण्डितों ने गंगा नदी के किनारे मनुष्य काटने का हथा लगा कर श्रद्धालुओं को बहकाने लगे कि परमात्मा की तरफ से आदेश आया है कि जो शीघ्र स्वर्ग जाना चाहता है वो इस करोत से गला कटवा लगे। जिससे भर्मित श्रद्धालुओं ने वह भी स्वीकार कर लिया। उस समय परमात्मा कबीर परमेश्वर जी कहते थे कि सतभगति व सुकर्म करने वाला कही भी शरीर छोड़े वो अपने ईस्ठ धाम जाता है।
भ्रातृ द्वितीया ( भाई दूज ) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में [यमुना]] ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार सन्तोषपूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई। [1] जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है। [2] लेकिन देखने में आता है कि इतना कुछ करने के बाद भी
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